Undefined | A Poem by Papia Sen Gupta
- Papia Sengupta
- Sep 29, 2023
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Updated: Mar 18
This poem was originally written in Hindi by Papia Sen Gupta with the title 'अपरिभाषित' for Yugen Quest Review. We're thankful to Smeetha Bhoumik for the translation of the poem into English.
नाम क्या है पूछते हो तो बताऊँ तुमहे कि क्या हूँ मैं । कभी खुशी का फव्वारा तो कभी गम की बौछार हूँ मैं। न पूरी पतझङ और ना ही बसंत की बाहार हूँ मैं । हॅसी और दर्द के बीच का अहसास हूँ मैं । न जब सुबह खीली हो और न ही रात पूरी ढली हो। उस भौर से पहले का आभास हूँ मैं । हर शहर हर पहर हर गाँव को तो दिया है नाम तुमने। अब मुझ पर करते हो सवाल कि कौन हूँ मैं । नहीं बाँट सकते हो दो हिस्सों में वो आसमान हूँ मैं । मैं शीतल पवन। मैं झुंझलाती अगन। युद्ध के बीच मौत का अमन। न नाम न कौम। न ही रहती हूँ मौन, लवजो के बीच की शान्त हूँ मैं ।